‘स्त्री के संघर्षों और दुखों का दस्तावेज है ‘स्त्री और प्रेम’:ओबैद आजम आजमी

‘स्त्री के संघर्षों और दुखों का दस्तावेज है ‘स्त्री और प्रेम’:ओबैद आजम आजमी
‘टैगोर और राहुल सांकृत्यायन हैं मेरे आदर्श’:डॉ नीलिमा पांडेय
मुम्बई। ‘एक स्त्री जीवन के रण में सतत संघर्ष करती है और वह जीतती भी है।स्त्री के संघर्षों और दुखों का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है डॉ नीलिमा पांडेय की यह किताब ‘स्त्री और प्रेम’ ।इसमें संघर्ष के भी कई आयाम हैं,दुख के भी।’ भावुक होते हुए उन्होंने कहा,’नीलिमा ने दुख के कातर क्षणों को बहुत कुशलता से पकड़ा है।’यह विचार प्रख्यात शायर,शिक्षा विद ओबैद आजम आजमी ने ‘शोधावरी’ द्वारा मुम्बई विश्वविद्यालय के जे पी नायक भवन में डॉ नीलिमा पांडेय के काव्य संग्रह ‘स्त्री और प्रेम'(प्रवासी प्रेम पब्लिसिंग इंडिया) पर आयोजित विमर्श में व्यक्त किये।कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रख्यात चित्रकार,कवयित्री रंजना पोहनकर ने की।
कर्यक्रम की प्रस्तावना रखते हुए डॉ हूबनाथ पांडेय ने कहा,’नफरत के मौसम में यह कविताएं प्रेम की चमक और उसकी उदात्तता को सामने रखती हैं’।डॉ नीलिमा पांडेय ने अपनी बात रखते हुए कहा,’रवींद्र नाथ टैगोर, राहुल सांकृत्यायन व महादेवी वर्मा मेरी आदर्श हैं।टैगोर की कविताओं से मेरे मन में क्षणिका का भाव जगा।वही भाव इस किताब का आधार है’।
डॉ मृगेंद्र राय ने कहा,’जीवन के भोगे हुए क्षणों की सनद है यह किताब’। ऊषा मधु ने कहा,’स्त्री की सूक्ष्मतम भावनाओं को प्रकट करती हैं यह कविताएं’।सर्वेश यादव ने कहा,’छोटी कविताएं, बड़ी बात कहती हैं’ ।
नीतू पांडेय’क्रांति’,कविता पटेल,लक्ष्मीकांत कमलनयन व कमल किशोर कमल ने पुस्तक की कुछ कविताओं का पाठ किया।संचालन आमना आजमी व आभार आसिया शेख ने व्यक्त किया।
खचाखच भरे सभागार में कला,साहित्य,सँस्कृति व रंगमंच से जुड़े लोग उपस्थित थे।